Vedic Vinay वैदिक विनय
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‘वैदिक विनय’ वेद के मन्त्रों के माध्यम से प्रभु प्रार्थनाओं का संग्रहात्मक सङ्कलन है। स्वाध्यायशील व्यक्तियों के लिए अपूर्व लाभकारी एवं जीवन को श्रेय पथ पर ले जाने वाला सन्मार्ग प्रेरक महान् ग्रन्थ है । 1
इस में वर्ष के ३६५ दिनों में स्वाध्याय के लिए ३६५ ही प्रार्थनाएँ श्री अभयदेव विद्यालङ्कार जी ने संगृहीत की हैं। श्री अभयदेव जी ने मनुष्य को इन प्रार्थनाओं के सान्निध्य द्वारा अभय का पथ प्रशस्त किया है। मानव के जीवन में अनेक उत्थान- पतन की समस्याएँ आती हैं। उन्हें इन प्रार्थनाओं की प्रेरणाओं द्वारा पतन की विभीषिकाओं से बचाकर प्रभु प्रार्थनाएँ अभय बनाती हैं । मनुष्य का जन्म मिला ही प्रभु प्राप्ति के लिए है । ऋषियों ने गाया है- ‘इह चेदवेदीद अथ सत्यमस्ति ।’ मनुष्य ने यदि इस जीवन में प्रभु प्राप्ति कर ली तो जीवन सफल हो जाता है। इस ग्रन्थ में ऐसी ही अपूर्व आध्यात्मिक प्रस्तुति की गई है । साथ ही+
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनेक ऋतु – अनुकूल व्यायाम, प्राणायाम, भोजन और आहार-विहार का भी निर्देश किया है। मनुष्य के स्वस्थ एवं सबल और नीरोगी रखने का भी प्रावधान किया है। यतः ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ।’ यदि शरीर स्वस्थ है तो सभी धर्मसाधन किये जा सकते हैं । अतः इसमें दी गई आध्यात्मिक प्रार्थनाओं के स्वाध्याय तप से प्रभु-प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है । ‘यतः स्वाध्यायो हैव परमता काष्ठा ।’ स्वाध्याय परम तप है। स्वाध्याय से योग मार्ग प्राप्त किया जा सकता है और ‘स्वाध्याययोगसम्पत्त्या परमात्मा प्रकाशते ।’ स्वाध्याय और योग से प्रभु की प्राप्ति होती है ।
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