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Sanjivani Vol 1-2

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प्रत्येक कार्य के प्रारम्भ का कोई कारण तो होता ही है। इस पुस्तक के प्रकाशित करने का कारण है- साधारण जनों में धर्म और भक्ति के संस्कारों को सुदृढ़ करना ।

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैंहम कौन थे क्या हो गये और क्या होंगे अभी।

आओ विचारें, आज मिलकर ये समस्याएँसभी ॥ आज मनुष्य की गिरावट की कोई सीमा नहीं रही। कौन कहाँ तक गिर सकता है, ये अनुमान लगाना भी दुरुह हो गया है। सृष्टि में एक महान् सम्राट् परमपिता परमात्मा है, जो सारी सृष्टि का नियमपूर्वक संचालन करता है, व्यवस्था करता है। आज सबसे अधिक भ्रम परमपिता परमात्मा के बारे में चारों ओर से तथाकथित गुरुओं ने फैला रखा है। इन सब पाखण्डी गुरुओं के कारण आज परमपिता परमात्मा के प्रति जनसामान्य का दृष्टिकोण बदल रहा है। इन सब भ्रमों को तोड़ने का लेखक ने इस पुस्तक में कार्य किया है।

लेखक श्री कन्हैयालाल आर्य ने अपनी इस पुस्तक’ संजीवनी’ (एक प्रयास भक्ति की ओर) को पाँच विषयों में बाँटा है। वे हैं— प्रभुभक्ति विषय, भक्ति कैसे सफल हो ? मन सम्बन्धी विषय, जीवन प्रेरणा सम्बन्धी विषय तथा सामाजिक चिन्तन विषय। इस प्रकार लेखक ने अपनी ओर से सामान्य जनों को धार्मिकता एवं आस्तिकता से ओत प्रोत करने का प्रयास किया।

Weight 1000 kg

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