Prithvi Raj Chauhan Ek Parajit Vijeta
₹100.00
प्रस्तुत ग्रंथ को लिखने की प्रेरणा मुझे वर्तमान हालात से मिली है। आज हालात यह है कि चन्द रुपये या वोट के लालच में राष्ट्र के कर्णधार या उनके प्रतिनिधि हाथ आये दुश्मन या उनके एजेंटों को वास्तविक या अवास्तविक दयाभाव दिखाकर छुड़वाने का साधन बन जाते हैं। इस कारण देश में तेजपाल सिंह धामा नक्सलवाद, आतंकवाद व अराजकता का साम्राज्य फैलता जा रहा है। ऐसी अनेक घटनाओं को पढ़कर मुझे उस भावुक मन वाले वीर पृथ्वीराज चौहान का ध्यान आना स्वाभाविक है, जिसने शाहबुद्दीन गौरी को बार-बार पकड़कर भी छोड़ दिया और अंत में उसकी वंचना के कारण स्वयं पराजित हुआ और मारा गया, परिणामस्वरूप सृष्टि के आरंभ से चले आ रहे स्वतंत्र गौरवमय भारत को उसने गुलामी के रास्ते पर धकेल दिया। ‘क्षमा वीरों का आभूषण होता है – शास्त्रों का यह वचन तो उन्हें बार-बार याद आता रहा, लेकिन अग्नि, साँप व शत्रु को शेष छोड़ दिया जाता है, तो ये बदला लेने से नहीं चूकते’- यह शास्त्र वचन पता नहीं उन्हें क्यों याद नहीं आया ? 1
महाराजा अनंगपाल ने ज्योतिषराज के बहकाए में आकर अपने पुत्र घोरी को देश, धर्म व जाति से बहिष्कृत किया और वही घोरी बाद में शाहबुद्दीन गौरी बनकर आया, जिसने भारत की सभ्यता व संस्कृति को छिन्न-भिन्न करने में कोई कसर बाकी न छोड़ी। भारत के कई प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में बहिष्कृत घोरी की कथा मिलती है, लेकिन खेद है कि इतिहासकारों ने कभी इस ओर अपना ध्यान आकृष्ट नहीं किया ?
Please fill in the fields below with the shipping destination details in order to calculate the shipping cost.
Reviews
There are no reviews yet.