Nadi Tattva Darshanam
₹500.00
Please fill in the fields below with the shipping destination details in order to calculate the shipping cost.
वर्तमान काल में रोग-निदान के लिए अनेक उपकरण और परीक्षण प्रणालियों का अविष्कार हुआ है । ये उपकरण और परीक्षण प्रणालियां इतनी महंगी और समय-साध्य हैं कि भारतीय साधारण जन उनसे लाभ नहीं उठा पाता । प्राचीन काल में भारतीय मनीषियों ने दोष, धातु, मलों के आधार पर रोग-निदान की ऐसी निर्दोष प्रणाली को विकसित किया था जो न द्रव्यसाध्य है, न समय-साध्य। उस प्रणाली का नाम है—नाड़ीविज्ञान अर्थात् रोगी के हाथ की नाड़ी का स्पन्दन अनुभव करके रोग को पहचान लेना। नाड़ी-विज्ञान में प्रवीणता महान् तप की अपेक्षा रखती है। –
आधुनिक युग के महान् तपस्वी और निर्लोभ विद्वान् पं० सत्यदेव वासिष्ठ ने नाड़ीविज्ञान में अद्भुत प्रवीणता प्राप्त की। वे सदा ही नाड़ी-स्पर्श मात्र करके रोग का निदान करते थे। इस गम्भीर विज्ञान का निरूपण उन्होंने नाड़ी-तत्त्व-दर्शन ग्रन्थ में किया है। वात, पित्त, कफ त्रिदोष सिद्धान्त वेदमूलक है और नाड़ी शरीर में रक्त के साथ ही वात, पित्त, कफ को भी वहन करती है। अतः इनके स्पन्दन से दोषों का सटीक ज्ञान हो सकता है ग्रन्थ के तीसरे अध्याय में आयुर्वेद के भौतिक सिद्धान्तों का निरूपण विस्तार से किया गया है । जगत् पांच महाभूतों का प्रपञ्च है।
Weight | 1000 kg |
---|
Reviews
There are no reviews yet.