The only center for rare books & Free shipping for orders over ₹501

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop

The only center for rare books & Free shipping for orders over ₹501

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop

Hemchandra Vikramaditya Antim Hindu Samrat

250.00

श्री सय्याह सुनामी ” का “हेमचन्द्र विक्रमादित्य ” वीर रस प्रधान उपन्यास है। आज के युग में ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता होते हुए भी प्रायः अभाव पाया जाता है।

वर्त्तमान युग में पूर्ण संसार में शान्ति, राजनीतिक दाँव-पेंच में, एक मोहरा मात्र रह गई है। इस पर भी शान्ति के बार-बार उच्चारण ने भीरुता ही उत्पन्न की है। भारत में शान्ति, उद्देश्य के स्थान पर एक कार्यक्रम बन गया है। अत: जानबूझकर अथवा अनजाने में, शान्ति के पुजारी जन-जन में शान्ति का संचार करने के स्थान पर अशान्ति उत्पन्न करने में ही योग्य हुए हैं ।

इस पर भी शान्ति की धूम है और भारत के लेखक भी इस सम्मोहनी मन्त्र के जादू में आकर वीर रस पर लिखना छोड़ बैठे हैं। भारत के महान् नेता तो युद्ध का उल्लेख करना भी एक गये जमाने की मूर्खता कहते हैं । अतः लेखकों ने नेता का संकेत पा वीर रस लिखने को भी गये जमाने का पशुपन मान लिया है। आज लेखक प्रायः शृंगार रस पर लिखने में ही अपने को कृत-कृत्य मानते हैं ।

“” ‘श्री सय्याह सुनामी” की इस पुस्तक ने वीर गाथा लिखने की कला का पुनरोद्धार करने का एक सफल प्रयास किया है। इसलिये मैं योग्य लेखक को बधाई का पात्र मानता हूँ ।

योग्य लेखक ने मुसलमानों के आक्रमण के समय हिन्दू अर्थात् तत्कालीन भारत के निवासियों की भूलों पर भी एक धीमा-सा प्रकाश डालने का यत्न किया है। मुट्ठी-भर मुसलमान इतने बड़े देश में अपनी राज्य सत्ता कैसे जमा बैठे ? उस समय क्या करना चाहिये था जो नहीं किया गया, उपन्यास के पात्र रविशंकर की समझ में तो आया परन्तु करने योग्य व्यक्ति करने में सफल नहीं हो सका।

Calculate shipping price

Please fill in the fields below with the shipping destination details in order to calculate the shipping cost.

Weight 600 kg

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Hemchandra Vikramaditya Antim Hindu Samrat”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Cart

Your Cart is Empty

Back To Shop