daampaty Jeevan ke Sopaan
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पुरुष और नारी को प्यार की रेशमी डोर में बांधती हैं दो बातें – संतान पाने की लालसा, और काम-वासना में तृप्ति | जब तृप्ति नहीं होती तो दाम्पत्य जीवन में कलह-क्लेश के अंगारे सुलग उठते हैं । तरह-तरह के मानसिक और शारीरिक रोग सताने लगते हैं। पुरुष में दसियों प्रकार की नपुंसकता आ जाती है तो नारी को प्रदर, हिस्टीरिया और ठंडापन सुखा देते हैं। ऐसे में यह छोटी-सी पुस्तक दाम्पत्य जीवन के नरक को स्वर्ग बना सकती है। इसमें फूलों, वस्त्रों, सोने-चाँदी के वर्क और जड़ी-बूटियों के ऐसे उपचार बताए गए हैं जो सभी रोगों को चुटकियों में दूर कर सकते हैं प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत विभिन्न अवस्थाओं में उत्पन्न विभिन्न समस्याओं का समाधान विशिष्ट उपायों से किया जाता है। परन्तु ‘दाम्पत्य जीवन’ की विभिन्न समस्याओं का विचार करना भी नितांत आवश्यक होता है। ‘दाम्पत्य जीवन’ प्रेम और सुख-समृद्धि का काल होता है। इस अवधि में व्यक्ति का तन एवं मन अनेक झंझावातों से होकर गुजरता है। ऐसी स्थिति में नर एवं नारी दोनों को शारीरिक एवं मानसिक चुनौतियां झकझोर देती हैं और यह जीवन दुःख, क्लेश, संताप, विषाद आदि से त्रस्त हो जाता है। अतः दांपत्य जीवन की ऐसी कुछ स्थितियों का चिन्तन, मनन एवं उनके निवारण के कुछ सीमित सरल उपाय इस लघु पुस्तिका में समाविष्ट किये गए हैं। यह पुस्तक सामाजिक एवं गृहस्थ जीवन में लोगों का कुछ मार्गदर्शन कर सके तो मैं अपने इस तुच्छ प्रयास को सार्थक सममूंगा।
Weight | 300 kg |
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