Bundi Shastrarth
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आर्यसमाज के सुप्रसिद्ध विद्वान् स्व. ब्र. नित्यानन्दजी ने कई शास्त्रार्थ किये थे, जिनमें बूंदी का शास्त्रार्थ एक महत्त्वपूर्ण शास्त्रार्थ था, क्योंकि हिजहाइनेस महाराजा एवं वहाँ के पण्डितवर्ग आर्यसमाज के कट्टर विरोधी थे, आर्यसमाज के नाम से ही उन्हें घृणा थी । महाराजा अपने राज्य में आर्यसमाज के विद्वानों को प्रविष्ट नहीं होने देते थे । श्री ब्रह्मचारीजी का प्रवेश भी बड़े रहस्यपूर्ण ढङ्ग से हुआ था । शास्त्रार्थ लिखित हुआ था, अतः बाद में प्रकाशित भी हो गया था, परन्तु अब उसकी कोई प्रति प्राप्य नहीं थी। प्रयत्न करने पर शाहपुरा राज्य के पुस्तकालय में एक प्रति मिल गई ।
पुस्तक संस्कृत में पुराने ढङ्ग के अपूर्ण अनुवाद सहित थी, उसे वैसा ही प्रकाशित करने से सर्वसाधारण को लाभ नहीं हो सकता था इसलिए मेरे सम्मुख दूसरी कठिनाई यह उपस्थित हुई कि इसका हिन्दी अनुवाद तथा सम्पादन किससे कराया जाय । इस कार्य के लिये मैंने प्राणाचार्य श्री पण्डित ब्रह्मानन्दजी त्रिपाठी आयुर्वेद शिरोमणि को निवेदन किया । उन्होंने अत्यन्त कार्य व्यस्त होते हुए भी मेरा आग्रह – पूर्ण निवेदन स्वीकार किया |
Weight | 500 kg |
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