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Bodh Kathayein बोध कथाएँ

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यह कथा – संकलन मुख्यतया उपनिषद्, वाल्मीकि रामायण और महाभारत की प्रेरक, ज्ञानवर्द्धक और बोधमय घटनाचक्रों से गुंथा गया है। इस प्रकार की प्रेरक कथाएँ वर्तमानकाल में, जिसे आधुनिक काल कहें या कि उससे भी परे उत्तर आधुनिक काल कहें, बड़ी ही उपयोगी हैं। इस उत्तर-आधुनिक काल में हमारा मानव-समाज अपनी जड़ों से अलग-सा हो गया है। आधुनिकता के प्रवाह में वह अंधाधुंध बहता चला गया है। उसे बोध ही नहीं कि वह उस देश का वासी है जिसे प्राचीन काल में ही नहीं, अपितु आज भी जगद्गुरु के नाम से जाना जाता है। वही आज पतनावस्था की ओर निरन्तर अग्रसर है। नैतिकता का उसमें नितान्त हास हो गया है ।

– वर्तमान संचार माध्यमों ने हम भारतवासियों पर इतना विपरीत प्रभाव डाल दिया है कि हमारी विवेक बुद्धि नष्ट – सी हो गई है। कर्त्तव्याकर्त्तव्य के बोध का लोप होता जा रहा है। राष्ट्रकवि स्वर्गीय मैथिलीशरण गुप्त ने आज से लगभग 40-50 वर्ष पूर्व ही हमें चेतावनी देते हुए कहा थाहम क्या थे, क्या हो गए और क्या होंगे अभी । –

आओ विचारें, मिलकर समस्याएँ सभी ।।

उनका यह कथन आज अक्षरशः सत्य सिद्ध हो रहा है। किन्तु मिलकर विचार करने के लिए कोई तत्पर नहीं है। किसी को अवकाश ही नहीं है कि इस विषय में सोचें, विचार करें ।

ऐसी विषम स्थिति में इस प्रकार के उद्बोधक, प्रेरक और ज्ञानवर्द्धक साहित्य की नितान्त आवश्यकता को अनुभव करते हुए हम इस ओर प्रवृत्त हुए हैं किन्तु इसके लिए दूसरा पक्ष अर्थात् पाठक-वर्ग भी उद्यत हो, तभी समस्या सुलझ सकती है।

हमारी आकांक्षा यही है कि अपने व्यस्त क्षणों में से, यदि आप अपने कुछ क्षण इस प्रकार के साहित्य को पढ़ने के लिए निकाल सकें

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