Bhartriharishatakam भर्तृहरिशतकम्
₹225.00
महान् वही है जिसके वचन दृष्टान्त और लोकोक्तियाँ बन जायँ। इस कसौटी पर भर्तृहरि पूरी तरह खरे उतरे हैं। नीति, श्रृंगार और वैराग्य पर उनके रचे शतक (सौ-सौ श्लोक) शताब्दियों बाद भी लोगों को कंठस्थ हैं।
“भर्तृहरिशतकम्” के अनुवाद और टिप्पणीकार स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती ने इसे नवीन सुगन्धियों के साथ और भी महका दिया है।
* प्रत्येक पदांश का शब्दार्थ दिया गया है । प्रत्येक श्लोक का भावार्थ भी समझाया गया है । * भाषा बोलचाल की, मुहावरेदार प्रयुक्त की गई है ।
छात्रों और विद्वानों, सभी के लिए उपयोगी बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
अब तक प्रकाशित इस पुस्तक के विभिन्न संस्करणों की विशेषताओं को इसमें समाविष्ट किया गया है |
अकारादि क्रम से अनुक्रमणिका भी दी गई है ताकि श्लोक ढूँढने में सुविधा रहे ।
आप स्वीकार करेंगे कि “भर्तृहरिशतकम्” का यदि कोई सर्वशुद्ध और सर्वाग सुन्दर प्रकाशन है तो एकमात्र यही है।
Please fill in the fields below with the shipping destination details in order to calculate the shipping cost.
Reviews
There are no reviews yet.