Shukraniti शुक्रनीति
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भारतीय नीति – शास्त्र के इतिहास में शुक्राचार्य का नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है। शुक्राचार्य के पर्याय शब्द उशना, काव्य, भार्गव आदि हैं । महाभारत में ‘उशना’ के रूप में शुक्राचार्य की नीतियों का अनेकशः’ उल्लेख मिलता है। इसके अतिरिक्त ‘भार्गव, ‘ ‘काव्य’ आदि शब्द से भी शुकाचार्य का संकेत किया गया है। शुक्राचार्य के द्वारा किए गए ब्राह्म नीति शास्त्र के संक्षिप्त रूप के निर्देश के प्रसंग में महाभारत ने इन्हें ‘अमितप्रज्ञ” ‘महायशाः’ आदि उपाधियों से विभूषित किया है । अन्यान्य प्राचीन ग्रन्थों में भी शुक्राचार्य की नीति की अत्यन्त प्रशंसा की गई है। कौटिल्य के अर्थ – शास्त्र में औशनस – सम्प्रदाय का उल्लेख किया गया है जिसका संकेत पहले किया जा चुका है। विज्ञानेश्वर ने भी औशनस अर्थ – शास्त्र का इस रूप में उल्लेख किया है जिससे यह प्रतीत होता है कि उनकी दृष्टि में अर्थ – शास्त्रों में औशनस अर्थ- शास्त्र ही मूर्धन्य था । महाभारत में जब भीष्म की विद्या प्राप्ति का वर्णन किया गया है तो वहाँ केवल उशना तथा बृहस्पति के नीति-शास्त्रों का ही उल्लेख है और उनमें भी प्राथम्य दिया गया है उशना को । हेमाद्रि के ‘चतुर्वर्ग चिन्तामणि’ के ‘दानखण्ड” में उद्धत एक श्लोक में यह बतलाया गया है कि स्वायम्भुव शास्त्र के चार संस्करण किए गए थे
Weight | 500 kg |
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