Muniver Gurudutt Vidyarthi
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उन्नीसवीं शताब्दी के महान् वैदिक विद्वान् तथा आर्यसमाज के समर्पित कार्यकर्ता पं० गुरुदत्त विद्यार्थी अपने युग के एक प्रगल्भ लेखक, दर्शनिक, विचारक तथा शिक्षाविद् थे । यद्यपि वे अपने जीवन के छब्बीस वसन्त भी नहीं देख पाये थे, तथापि इस स्वल्प अवधि में उन्होंने लेखन, वक्तृत्व तथा धर्म प्रचार के क्षेत्र में आश्चर्यजनक मानदण्ड स्थापित किये। पंजाब केसरी लाला लाजपतराय तथा डी० ए० वी० कॉलेज लाहौर के प्रथम प्राचार्य महात्मा हंसराज उनके सहपाठी थे। इस त्रिपुटी ने वैदिक साहित्य, राष्ट्रसेवा तथा शिक्षा के क्षेत्रों में जो अभूतपूर्व कार्य किया है, उसकी दूसरी मिसाल मिलना कठिन है। जब 19 मार्च, 1890 को पं० गुरुदत्त का असामयिक निधन हो गया तो उनके सहाध्यायी और अन्तरंग मित्र लाला लाजपतराय ने अंग्रेजी में उनका जीवन चरित्र लिखा जो 1891 में प्रकाशित हुआ।
Weight | 500 kg |
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