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Aitareya Brahmana (set of 2 vols)

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ब्राह्मणसाहित्य–विश्ववाङ्मय में वेद ज्ञानविज्ञान के विशाल भाण्डागार हैं। इनमें ऐहिक और पारलौकिक-दोनों प्रकार के ज्ञान समुपलब्ध होते हैं। संहिता और ब्राह्मणदोनों का समाहार वेद के अन्तर्गत किया गया है। जैसा कि आपस्तम्ब ने कहा है’मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनामधेयम्’ (आप० परि० १.३३ ) | इस परिभाषा में मन्त्र का तात्पर्य संहिता और ब्राह्मण का ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद् है। ब्राह्मण के अन्तर्गत आरण्यक और उपनिषद का भी समाहार हो जाता है। मन्त्रों के साथ-साथ ब्राह्मणग्रन्थों को भी वेदान्तर्गत माने जाने में प्राचीन और अर्वाचीन आचायों में वैमत्य दृष्टिगोचर होता है। प्राचीन वेदज्ञों ने तो ब्राह्मण-ग्रन्थों को भी वेद के अन्तर्गत माना है किन्तु अर्वाचीन वेदज्ञ स्वामी दयानन्द सरस्वती का कथन है कि केवल मन्त्रों का संहिताभाग ही वेद है। उनकी स्पष्ट धारणा है कि ब्राह्मण-ग्रन्थों का समाहार वेद के अन्तर्गत नहीं होना चाहिए; क्योंकि ब्राह्मण-ग्रन्थ मन्त्रों के व्याख्यापरक ग्रन्थ है ।

Weight 2500 kg

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