Arya Samaj (Lala Lajpat Rai)
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लाला लाजपतराय अपनी युवा अवस्था से ही आर्यसमाज से जुड़े रहे तथा उन्होंने उन्मुक्त भाव से यह स्वीकार किया था कि देश की जो सेवा वह कर पाऐ हैं, उसका श्रेय आर्यसमाज एवं उसके संस्थापक महर्षि दयानन्द को ही है जिनसे प्रेरणा पाकर वे समाज तथा स्वराष्ट्र के लिए कुछ कर सके। आर्यसमाज का सांगोपांग विवेचन प्रस्तुत करने का विचार लेकर ही लालाजी ने उस समय दि आर्यसमाज’ नामक अंग्रेजी ग्रन्थ लिखा था। तब से लेकर अब तक आर्यसमाज-आन्दोलन ने जो उतार-चढ़ाव देखे है उसके लिए तो अन्य विवेचन की अपेक्षा रहेगी ही, तथापि लाला जी का यह ग्रन्थ भी कालजयी साहित्य की श्रेणी में आ गया है। इस पुस्तक का अध्ययन वे लोग अवश्य करें जो संक्षेप में आर्यसमाज तथा उसके संस्थापक से परिचित होना चाहते हैं। आशा है नरकेसरी लालाजी का यह अमर ग्रन्थ पाठकों में स्वदेश, स्वधर्म तथा स्वसंस्कृति के प्रति प्रेम जगाने में समर्थ होगा।
Weight | 500 kg |
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