Karmafal Vivaran
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कर्मों का फल कब, कैसा, कितना मिलता है; यह जिज्ञासा सभी धार्मिक व्यक्तियों के मन में होती है। कर्मफल देने का कार्य मुख्य रूप से ईश्वर द्वारा संचालित और नियन्त्रित है। वही इसके पूरे विधान को जानता । मनुष्य इस विधान को कम अंशों में और मोटे तौर पर ही जान पाया है क्यों कि उसका सामर्थ्य ही इतना है। ऋषियों ने अपने ग्रन्थों में कर्मफल की कुछ मुख्य मुख्य महत्वपूर्ण बातों का वर्णन किया है। उन्हें इस लेख में और सम्बन्धित चित्र (Chart) में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है ।
कर्मफल सदा कर्मों के अनुसार मिलते हैं। फल की दृष्टि से कर्म दो प्रकार के होते हैं । १. सकाम कर्म, २. निष्काम कर्म सकाम कर्म उन कर्मों को कहते हैं जो लौकिक फल ( धन, पुत्र, यश आदि) को प्राप्त करने की इच्छा से किए जाते हैं। तथा निष्काम कर्म वे होते हैं जो लौकिक फलों को प्राप्त करने के उद्देश्य से न किए जाएँ अपितु ईश्वर अर्थात् मोक्ष प्राप्ति की इच्छा से किए जाएँ ।
सकाम कर्म तीन प्रकार के होते हैं- अच्छे, बुरे व मिश्रित कर्म । अच्छे कर्म- जैसे सेवा, दान, परोपकार करना आदि। बुरे कर्म- जैसे झूठ बोलना, चोरी करना आदि । मिश्रित कर्म- जैसे खेती करना आदि। इसमें पाप व पुण्य ( कुछ अच्छा कुछ बुरा) दोनों मिले जुले रहते हैं।
Weight | 300 kg |
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