Anmol kahaniyan
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मुझे अपने बचपन की याद है जब अधिकांश परिवार संयुक्त होते थे । इन परिवारों में सभी सदस्य हंसी-खुशी साथ मिलकर रहते थे। लगभग सभी परिवारों का एक जैसा सीधा-साधा चलन होता था। इन परिवार में नाना-नानी, दादा-दादी के साथ रहने से छोटे बच्चों को अच्छी शिक्षा और भरपूर प्यार मिलता था।
शाम को जब अंधेरा घिरने को होता, बच्चे अपना खेल समाप्त कर घर आते, घर आकर खाना खाते और फिर शुरू होता कहानी सुनने-सुनाने का सिलसिला । लगभग सभी बच्चे अपने नाना-नानी, दादा-दादी से कहानी सुनने की जिद करते और सच तो यह है कि कहानी सुनते-सुनते बच्चे गहरी नींद में सो जाया करते थे ।
1 ये कहानियां बच्चों के लिए बड़ी लाभदायक सिद्ध होती थी । कहानी के बहाने बच्चों को अपने देश के देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों, साधु-संतों और अन्य महापुरुषों के बारे में पता चल जाता था । और इन्हीं कहानियों के माध्यम से बच्चों को महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों में बताये गये सत्य का सार बड़े रोचक और सीधे-साधे शब्दों में बताया जाता था । इस तरह इन कहानियों के माध्यम से, बगैर पढ़े बच्चे वह सब बातें जान लेते थे, जो उनके चरित्र निर्माण के लिए जरूरी होती थी। आज रोजगार की तलाश में लोग दूर-दूर जाने लगे हैं। संयुक्त परिवार टूटे हैं, नाना-नानी, दादा-दादी का साथ छूटा है। अब हमारे बच्चे मजबूरी में टेलीविजन देखा करते हैं और टीवी पर कई बार बच्चे ऐसे कार्यक्रम . देखते हैं, जिनके लिए बच्चे अभी मानसिक तौर पर पूरी तरह विकसित नहीं हैं। आजकल देश की सभ्यता, संस्कृति, धर्म या इतिहास के बारे में सही जानकारी देने वाला साहित्य बहुत कम पाया जाता है। बच्चों के पढ़ने लांयक साहित्य भी कम लिखा जा रहा है ।
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