Gau Ka Gaurav
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कृषि प्रधान देश भारत में आज भी अधिकांश खेती बैलों द्वारा ही की जाती है, इसलिए बैलों को कर्म व कर्त्तव्य का प्रथम गुरु माना जा सकता है। आर्यावर्त सदा से शाकाहारी राष्ट्र रहा है और सम्पूर्ण शाकाहार खाद्यान्न बैलों के पुरुषार्थ से ही उत्पन्न होता रहा है, इसलिए बैलों को पालक और पिता भी कहा गया है।
गाय एक तरफ जहाँ इन पुरुषार्थी बैलों को जन्म देती है, दूसरी तरफ वह स्वयं भी दूध व दही द्वारा मानव का पोषण करती है। आयुर्वेद में गाय से प्राप्त पंचगव्य तथा गोरोचना के कोटिशः उपयोग निर्दिष्ट हैं।
जन्म देने वाली माता तो कुछ ही महीने बच्चे को दूध पिलाती है। फिर भी कहते हैं कि माँ के दूध का कर्ज कभी अदा नहीं किया जा सकता, लेकिन गाय तो जीवन भर दूध पिलाती है, गोषड़ंग से स्वास्थ्य प्रदान करती है, इसलिए इसको विश्व की माता कहा गया है।
परोपकारिणी होने के कारण श्रद्धा व भक्ति की यह देवी द्वार की शोभा व घर का गौरव मानी जाती है।
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